भाकृअनुप - केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल

ICAR - Central Institute of Agricultural Engineering, Bhopal

(आईएसओ 9001: 2015 प्रमाणित संस्थान)

निदेशक का सन्‍देश

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निदेशक की डेस्‍क से (From the DIRECTOR'S DESK)

कृषि इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास के लिए भाकृअनुप-केन्‍द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्‍थान(केकृअभिसं), भोपाल एक प्रमुख संस्थान है जिसे देश में कृषि अभियांत्रिकी की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए 1976 में स्थापित किया


भा.कृ.अनु.प.-केन्‍द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्‍थान(के.कृ.अभि.सं.), कृषि अभियांत्रिकी के अनुसंधान एवं विकास के लिए एक प्रमुख संस्थान है जो देश में कृषि अभियांत्रिकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1976 में स्थापित किया गया था। यह देश के मध्य में भोपाल में स्थित है। वर्तमान में जब कृषि भूमि कम हो रही है और जनसंख्या बढ़ रही है, संस्थान का अधिदेश(मेण्‍डेट) कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


भा.कृ.अनु.प.-के.कृ.अभि.सं. के ध्‍येय (विजन) के अन्‍तर्गत कृषि मशीनीकरण के माध्यम से फसल उत्पादकता में सुधार, नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा का दोहन, सिंचाई के पानी का कुशल प्रबंधन, फसल की कटाई के बाद के नुकसान में कमी तथा आय बढ़ाने व ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजित करने की दृष्टि से कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देकर भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण करना शामिल हैं। संस्थान को फार्म यंत्रीकरण, कटाई उपरांत खाद्य प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन, सिंचाई व जल निकासी इंजीनियरिंग तथा कृषि में ऊर्जा प्रबंधन पर बुनियादी, अनुकूली और अनुप्रयुक्त अनुसंधान करने के लिए अधिदेश प्रदान किया गया है। संस्‍थान आउटरीच और प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कृषि इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण और उपयोग के द्वारा मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण करने के अधिदेश का निर्वहन भी करता है।

संस्‍थान पांच प्रभागों (कृषि यंत्रीकरण, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, कृषि ऊर्जा और शक्ति, सिंचाई एवं जल निकासी अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रभाग), चार अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (प्रक्षेत्र औजार एवं मशीनरी, कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों में ऊर्जा, पशु ऊर्जा उपयोग, और कृषि में श्रमविज्ञान एवं सुरक्षा); दो कंसोर्टिया अनुसंधान प्लेटफॉर्म (फार्म मशीनीकरण और सटीक खेती, तथा कृषि से ऊर्जा), और सोयाबीन प्रसंस्करण और उपयोगिता पर उत्कृष्टता केंद्र के माध्‍यम से इन उद्देश्‍यों की पूर्ति करता है। राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों, केन्‍द्रीय कृषि विश्‍वविद्यालयों, आईआईटी और कई एनजीओ में स्थित चार अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं(एआईसीआरपी) के सहयोगी केंद्र पूरे देश में फसलों और क्षेत्र विशिष्ट तकनीकी समस्‍याओं का समाधान करते हैं। कोयम्बटूर स्थित क्षेत्रीय केंद्र देश के दक्षिणी राज्यों की इंजीनियरिंग हस्तक्षेप की जरूरतों को पूरा करता है। संस्थान परिसर में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र भोपाल जिले में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए इंजीनियरिंग तकनीकों को प्रदर्शित करने और लोकप्रिय बनाने का कार्य करता है। संस्थान कृषि अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्‍थान, नई दिल्ली के एक आउटरीच केंद्र के रूप में पीएचडी कार्यक्रम प्रायोजित करके छात्रों को शिक्षित भी कर रहा है। संस्‍थान सी.एस.ए.एम.(यू.एन.-ई.एस.सी.ए.पी.), ए.ए.आर.डी.ओ., एस.ए.ए.आर.सी., आदि कार्यक्रमों में अपनी प्रमुख गतिविधियों के माध्यम से कृषि मशीनीकरण डोमेन में अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व भी प्रदान करता है।


विगत वर्षों में, संस्थान ने कृषि इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में 300 से अधिक सफल तकनीकों का विकास किया है, जिसमें उत्पादकता बढ़ाने, खेती की लागत कम करने, कृषि श्रमिकों की कड़ी मेहनत को कम करने, मूल्यवर्धन और पोषण सुरक्षा, संसाधनों के संरक्षण और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करने की बड़ी क्षमता है। संस्थान की 17 सर्वाधिक लोकप्रिय व्यावसायिक तकनीकों का आर्थिक प्रभाव रुपये 7210 करोड़ प्रति वर्ष होने का अनुमान लगाया गया है।


किसानों, निर्माताओं, उभरते उद्यमियों, विस्तार कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, छात्रों आदि जैसे विभिन्न हितधारकों का प्रशिक्षण और कौशल विकास संस्थान की गतिविधियों का अभिन्न अंग है। संस्थान द्वारा आयोजित कई उद्यमिता कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप लगभग 1300 कस्टम हायरिंग केंद्रों, 200 सोया आधारित खाद्य उत्पादन उद्यमों और संरक्षित खेती को अपनाने वाले 75 किसानों का संस्‍थापन और सफल संचालन हुआ है।


भविष्य को ध्‍यान में रखते हुए केन्‍द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्‍थान अग्रणी क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे भौगोलिक सूचना प्रणाली(जी.आई.एस.)/ वैश्विक स्थिति निर्धारण प्रणाली(जी.पी.एस.) तकनीकों का उपयोग करके क्षेत्र विशिष्ट फसल योजना के लिए सटीक कृषि, इनपुटों (बीज, उर्वरक, रसायन, पानी, आदि) के नियंत्रित सटीक अनुप्रयोग, कार्बन प्रच्छादन के लिए संरक्षण कृषि, ऊर्जा संरक्षण के लिए बहु-कार्यात्मक कृषि उपकरण और टर्नअराउंड समय कम करने के लिए, कृषि मशीनरी प्रबंधन, कृषि में ड्रोन के अनुप्रयोग, व्यावसायिक स्वास्थ्य जोखिम और खेतों पर सुरक्षा, सेंसर, कृषि में माइक्रो-प्रोसेसर और कंप्यूटर का अनुप्रयोग आदि की दिशा में सक्रियता से कार्य कर रहा है। केन्‍द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्‍थान सटीक और क्लाउड डेटा के वर्चस्व के मध्‍य बहुउद्देश्यीय फील्ड कार्यों के लिए स्मार्ट ट्रैक्टर, मानव रहित हवाई वाहन, वायरलेस तकनीक और मानव रहित स्‍वत: निर्देशित वाहन जैसे उन्नत बुनियादी ढांचे से समर्थित कृषि संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए भी तैयार है।

डॉ. सी.आर. मेहता

निदेशक | भा.कृ.अ.प.-के.कृ.अभि.सं., भोपाल

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