भाकृअनुप - केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल

ICAR - Central Institute of Agricultural Engineering, Bhopal

(आईएसओ 9001: 2015 प्रमाणित संस्थान)

इतिहास (History)

history
संस्‍थान के बारे में जानकारी (About Institute)

इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. जे.एस. पटेल की अध्यक्षता में सितंबर 1972 में गठित कृषि अनुसंधान, शिक्षा और जनशक्ति पर मुख्य वर्किंग ग्रुप के स्‍टडी ग्रुप की बैठक में एक राष्ट्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया गया। समूह ने संस्थान की स्थापना के लिए मानकों को तैयार करने के लिए एक टास्क फोर्स कमेटी की नियुक्ति के लिए आई.सी.ए.आर. को सुझाव दिया। योजना आयोग ने 1973 में राष्ट्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (एनआईएई) की स्थापना के लिए परियोजना को मंजूरी दी और आईसीएआर के पत्र संख्या 26-4/73, पीपीएंडई दिनांक 1973 के तहत प्रोफेसर ए.सी. पंड्या की अध्यक्षता में संस्थान के स्थान हेतु एक उपयुक्त साइट के चयन को अंतिम रूप देने के लिए एक टीम का गठन किया गया।


मूल रूप से, राष्ट्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव फार्म मशीनरी और पावर, भूमि जल संसाधन विकास, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, कृषि संरचना और ग्रामीण नियोजन के क्षेत्र में मुद्दों को संबोधित करने के लिए सुविधाओं के साथ एक संस्थान के लिए दिया गया था। हालांकि, टास्क फोर्स कमेटी ने वित्तीय और अन्य बाधाओं के कारण एनआईएई की गतिविधियों को मशीनीकरण और फसल कटाई के बाद के संचालन तक सीमित करने का फैसला किया। यह महसूस किया गया कि राष्ट्रीय स्तर के कुछ ऐसे संस्थान पहले ही स्थापित हो चुके हैं और उन्होंने भूमि और जल संसाधन विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसलिए, ऐसी गतिविधियों के लिए अनुसंधान सुविधाओं की नकल नहीं की जानी चाहिए। संशोधित प्रस्ताव 1974 में योजना आयोग को 6 विभागों अर्थात् क्रॉप प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, हार्वेस्टिंग एंड थ्रेशिंग, पोस्ट-हार्वेस्ट, फार्म पावर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इंस्ट्रूमेंटेशन के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया था। इस प्रस्ताव को केवल 4 विभागों यानी फसल उत्पादन इंजीनियरिंग, पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रो मैकेनिकल इंजीनियरिंग और फार्म पावर तक सीमित करने के लिए संशोधित किया गया। योजना आयोग के सुझाव पर संस्थान का नाम भी राष्ट्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान से बदलकर केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान(सी.आई.ए.ई.) कर दिया गया। इस प्रस्ताव पर 1975 में योजना आयोग में चर्चा की गई और इलेक्ट्रो मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिवीजन के तहत फार्म पावर विभाग को शामिल करने के सुझाव के साथ इसे अनुमोदित किया गया।


इस प्रकार कृषि और सिंचाई मंत्रालय (कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग) ने आईसीएआर के पत्र संख्या- 26-3/75-एई दिनांक 17 नवंबर 1975 के माध्यम से पांचवीं पंचवर्षीय योजना अवधि (1974-79) के दौरान नबी-बाग में सी.आई.ए.ई. की स्थापना के लिए 10 मिलियन रुपये से अधिक नहीं तक की लागत पर भारत सरकार की स्‍वीकृति की सूचना प्रदान की। संस्थान को औपचारिक रूप से नबीबाग में 15 फरवरी 1976 से प्रभावी रूप से शुरू किया गया था। हार्वेस्ट और पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी स्कीम पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना(एआईसीआरपी) के मुख्यालय को आई.ए.आर.आई., नई दिल्ली से सी.आई.ए.ई. भोपाल में स्थानांतरित कर दिया गया और श्री टी.एच. निर्मल, परियोजना समन्‍वयक, पी.एच.टी. स्कीम को सी.आई.ए.ई. भोपाल के प्रभारी अधिकारी के रूप में नियुक्‍त किया गया था। प्रोफेसर ए.सी. पंड्या ने 2 मई, 1977 को सी.आई.ए.ई. के पहले निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला।


सितंबर 1977 में विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के तहत कृषि उपकरणों व मशीनरी और प्रोटोटाइप के उत्पादन तथा उनके मूल्यांकन के अनुसंधान और विकास पर योजना का मुख्यालय भी आई.ए.आर.आई. नई दिल्ली से सी.आई.ए.ई., भोपाल में स्थानांतरित कर दिया गया था। सी.आई.ए.ई., के 349 संवर्ग स्‍टाफ में 89 उच्च प्रशिक्षित वैज्ञानिक/इंजीनियर और 144 तकनीकी कर्मचारी हैं। वैज्ञानिक (इंजीनियर और जैव-वैज्ञानिक) और कुशल तकनीशियन कृषि इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, जैव-रसायन विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, खाद्य विज्ञान, गृह विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन, कंप्यूटर अनुप्रयोग, सांख्यिकी, अर्थशास्त्र और कृषि-व्यवसाय के विषयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें कृषि यंत्रीकरण, सिंचाई, पौध संरक्षण, एर्गोनॉमिक्स, एर्गोनॉमिक्स और कृषि में सुरक्षा, कटाई उपरान्‍त प्रसंस्करण, सोयाबीन प्रसंस्करण और उपयोग, यांत्रिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करते हुए एकीकृत ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करने की सुविधाएं हैं।


संस्थान की गतिविधियाँ पाँच प्रभागों (कृषि यंत्रीकरण, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, कृषि ऊर्जा और शक्ति, सिंचाई तथा जल निकासी इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण); चार अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं(कृषि उपकरण और मशीनरी, कृषि और कृषि उद्योगों में ऊर्जा, पशु ऊर्जा उपयोग, और श्रम विज्ञान और कृषि में सुरक्षा); दो कंसोर्टिया रिसर्च प्लेटफॉर्म (फार्म मशीनीकरण और सटीक खेती, और कृषि से ऊर्जा), और सोयाबीन प्रसंस्करण और उपयोगिता पर उत्कृष्टता केंद्र के माध्यम से संचालित की जाती हैं। एसएयू, सीएयू, आईआईटी और एनजीओ में स्थित चार अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) के सहयोगी केंद्र देश भर में फसलों और क्षेत्र विशिष्ट तकनीकी मुद्दों को संबोधित करते हैं। कोयंबटूर स्थित क्षेत्रीय केंद्र देश के दक्षिणी राज्यों की इंजीनियरिंग हस्तक्षेप की जरूरतों को पूरा करता है। संस्थान के भोपाल परिसर में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), भोपाल जिले में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए इंजीनियरिंग तकनीकों को प्रदर्शित करने और लोकप्रिय बनाने का कार्य करता है। संस्थान के पास कृषि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उच्च शिक्षा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आई.सी.ए.आर.-आई.ए.आर.आई., नई दिल्ली का एक आउटरीच केंद्र है।


संस्थान के पास अनुसंधान, कार्यालय और आवासीय उद्देश्य के लिए 93.85 हेक्टेयर भूमि है। अनुसंधान कार्यशाला अनुसंधान प्रोटोटाइप के निर्माण के लिए सुविधाएं प्रदान करती है और प्रोटोटाइप उत्पादन केंद्र बहु-स्थानीय परीक्षणों के लिए अनुसंधान प्रोटोटाइप को कई गुना करता है। कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन सेल उनके निर्माण से पहले अनुसंधान प्रोटोटाइप को डिज़ाइन और मॉडल करने में मदद करता है। कृषि ज्ञान प्रबंधन इकाई कृषि और डेटाबेस निर्माण में इंटनेट ऑफ थिंग्‍स (IoT) और कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता(AI) के अनुप्रयोग से संबंधित अनुसंधान गतिविधियों में सहायता करती है और इंस्ट्रूमेंटेशन सेल विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं में इंस्ट्रूमेंटेशन का सहयोग प्रदान करती है। आई.सी.ए.आर.-सी.आई.ए.ई., भोपाल मुख्य परिसर और इसके क्षेत्रीय केंद्र, कोयम्बटूर को कृषि मशीनरी और कटाई के बाद की मशीनरी के परीक्षण के लिए डी.ए.सी. एंड एफ.डब्ल्यू., भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।